हिन्दी साहित्य में काव्यशास्त्र के दो रूप देखने को मिलते हैं - भारतीय काव्यशास्त्र और पाश्चात्य काव्यशास्त्र। अगर परीक्षाओं की दृष्टि से देखा जाए तो यहां से काव्यशास्त्री और उनकी रचनाओं से संबंधित प्रश्न पूंछे जाते हैं। पिछली बार मैंने आप लोगों को पाश्चात्य काव्यशास्त्र के प्रमुख विचारक और उनकी रचनाओं के बारे में बताया था। इसी की अगली कड़ी है ‘भारतीय काव्यशास्त्र’। जिसके प्रमुख आचार्य और उनकी रचनाओं को निम्नलिखित सूची में प्रकाशित किया गया है। इनमें हिन्दी और संस्कृत दोनों के आचार्य शामिल हैं।
संस्कृत आचार्य
क्र.स. | आचार्य | रचनाएं |
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1 | भरतमुनि | नाट्यशास्त्र |
2 | भामह | काव्यालंकार |
3 | दण्डी | काव्यादर्श |
4 | वामन | काव्यालंकार सूत्रवृत्ति |
5 | रूद्रट | काव्यालंकार |
6 | आनन्दवर्द्धन | ध्वन्यालोक |
7 | राजशेखर | काव्यमीमांसा |
8 | धनंजय | दशरूपक |
9 | अभिनवगुप्त | अभिनवभारती , ध्वन्यालोकलोचन |
10 | कुन्तक | वक्रोक्ति जीवितं |
11 | भोजराज | सरस्वतीकण्ठाभरण , श्रंगारप्रकाश |
12 | महिमभट्ट | व्यक्तिविवेक |
13 | क्षेमेन्द्र | औचित्यविचार चर्चा |
14 | मम्मट | काव्य प्रकाश |
15 | जयदेव | चन्द्रालोक |
16 | भानुमिश्र | रसमंजरी , रसतरंगिणी |
17 | विश्वनाथ | साहित्य दर्पण |
हिन्दी आचार्य
क्र.स. | आचार्य | रचनाएं |
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1 | कन्हैयालाल पोद्दार | काव्यकल्पद्रुम (दो भाग) , संस्कृत साहित्य का इतिहास (दो भाग) |
2 | रामचन्द्र शुक्ल | रसमीमांसा , चिन्तामणि (चार भाग) |
3 | बलदेव उपाध्याय | भारतीय साहित्यशास्त्र (दो खण्ड) |
4 | रामदहिन मिश्र | काव्यदर्पण |
5 | गुलाबराय | सिद्धान्त और अध्ययन |
6 | नगेन्द्र | भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका , रस-सिद्धान्त , अरस्तु का काव्यशास्त्र , आस्था के चरण |
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