Sunday, July 24, 2022

कविता | कोयल | सुभद्राकुमारी चौहान | Kavita | Koyal | Subhadra Kumari Chauhan



 देखो कोयल काली है पर

मीठी है इसकी बोली

इसने ही तो कूक कूक कर

आमों में मिश्री घोली


कोयल कोयल सच बतलाना

क्या संदेसा लायी हो

बहुत दिनों के बाद आज फिर

इस डाली पर आई हो


क्या गाती हो किसे बुलाती

बतला दो कोयल रानी

प्यासी धरती देख मांगती

हो क्या मेघों से पानी?


कोयल यह मिठास क्या तुमने

अपनी माँ से पायी है?

माँ ने ही क्या तुमको मीठी

बोली यह सिखलायी है?


डाल डाल पर उड़ना गाना

जिसने तुम्हें सिखाया है

सबसे मीठे मीठे बोलो

यह भी तुम्हें बताया है


बहुत भली हो तुमने माँ की

बात सदा ही है मानी

इसीलिये तो तुम कहलाती

हो सब चिड़ियों की रानी


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