शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली .
दीप-शिखा है अँधेरे की, घनी घटा की उजियाली .
उषा है यह काल-भृंग की, है पतझर की हरियाली .
सुधाधार यह नीरस दिल की, मस्ती मगन तपस्वी की.
जीवित ज्योति नष्ट नयनों की, सच्ची लगन मनस्वी की.
बीते हुए बालपन की यह, क्रीड़ापूर्ण वाटिका है .
वही मचलना, वही किलकना,हँसती हुई नाटिका है .
मेरा मंदिर,मेरी मसजिद, काबा काशी यह मेरी .
पूजा पाठ,ध्यान,जप,तप,है घट-घट वासी यह मेरी.
कृष्णचन्द्र की क्रीड़ाओं को अपने आंगन में देखो .
कौशल्या के मातृ-मोद को, अपने ही मन में देखो.
प्रभु ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास.
जीव-दया जिनवर गौतम की,आओ देखो इसके पास .
परिचय पूछ रहे हो मुझसे, कैसे परिचय दूँ इसका .
वही जान सकता है इसको, माता का दिल है जिसका .
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