बस नाँहीं गोपाल सौ, बिनसै रतन अमोल॥1॥
ऊँनमि बिआई बादली, बर्सण लगे अँगार।
उठि कबीरा धाह थे, दाझत है संसार॥2॥
दाध बली ता सब दुखी, सुखी न देखौ कोइ।
जहाँ कबीरा पग धरै, तहाँ टुक धीरज होइ॥3॥755॥
ओ. हेनरी कहानी - बीस साल बाद वीडियो देखें एक पुलिस अधिकारी बड़ी फुरती से सड़क पर गश्त लगा रहा था। रात के अभी मुश्किल से 10 बजे थे, लेकिन हल्क...
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