दिल्ली में अनंगपाल नामी एक बड़ा राय था . उसके महल के द्वार पर पत्थर के दो सिंह थे . इन सिंहों के पास उसने एक घंटी लगवाई कि जो न्याय चाहें उसे बजा दें, जिस पर राय उसे बुलाता , पुकार सुनता और न्याय करता . एक दिन एक कौआ आकर घंटी पर बैठा और घंटी बजाने लगा. राय ने पूछा - इसकी क्या पुकार है ?
यह बात अनजानी नहीं है कि कौए सिंह के दाँतों में से माँस निकाल लिया करते हैं . पत्थर के सिंह षिकार नहीं करते तो कौए को अपनी नित्य जीविका कहाँ से मिले ?
राय को निष्चय हुआ कि कौए की भूख की पुकार सच्ची है क्योंकि वह पत्थर के सिंहों के पास आन बैठा था . राय ने आज्ञा दी कि कई भेड़े-बकरे मारे जाएँ, जिससे कौए को दिन का भोजन मिल जाए .
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