Monday, June 27, 2022

ग़ज़ल । मिट गया जब मिटाने वाला फिर सलाम आया तो क्या आया । Mit Gaya Jab Mitane Wala Phir Salam Aya To Kya Aya | दिल शाहजहाँपुरी | Dil Shahjahanpuri


मिट गया जब मिटाने वाला फिर सलाम आया तो क्या आया
दिल की बरबादी के बाद उन का पयाम आया तो क्या आया

छूट गईं नबज़ें उम्मीदें देने वाली हैं जवाब
अब उधर से नामाबर लेके पयाम आया तो क्या आया

आज ही मिलना था ए दिल हसरत-ए-दिलदार में
तू मेरी नाकामीयों के बाद काम आया तो क्या आया


काश अपनी ज़िन्दगी में हम ये मंज़र देखते
अब सर-ए-तुर्बत कोई महशर-खिराम आया तो क्या आया
(तुर्बत = मक़बरा; महशर = क़यामत; खिराम = चलने का तरीका)

सांस उखड़ी आस टूटी छा गया जब रंग-ए-यास
नामबार लाया तो क्या ख़त मेरे नाम आया तो क्या आया

मिल गया वो ख़ाक में जिस दिल में था अरमान-ए-दीद
अब कोई खुर्शीद-वश बाला-इ-बाम आया तो क्या आया

                                        (खुर्शीद-वश = महबूब)


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